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सुरक्षित कार के लिए 5 स्टार रेटिंग जरूरी है, भारत में बनी इस कार को 5 स्टार रेटिंग मिल गई है, डिटेल जानें

B Editor

दोस्तों जैसा कि हम जानते हैं आज तेज और स्पीड चलने वाली कारों की एक बहुत बड़ी रेंज मार्केट में उपलब्ध है। हर किसी का उद्देश है पावरफुल इंजन की गाड़ियां खरीदना और उसे हाईवे में तेज चलाना आज एवरेज स्पीड 120 से 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली ढेरों गाड़ियां हमारे बीच उपलब्ध है और इसी से एक समस्या सामने आई और वह है एक्सीडेंट सेफ्टी।

जी हां इसका मतलब यह है कि अगर किसी सिचुएशन में गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो जाए, तब उस में बैठने वाले पैसेंजर कितने सुरक्षित होंगे और इसके लिए गाड़ियों में तरह-तरह के सेफ्टी फीचर्स इंट्रोड्यूस किए गए। जिन्हें विज्ञापनों में बहुत बढ़-चढ़कर बताया जाता है, परंतु क्या वह सच में काम करते हैं।

इसके लिए एक खास टेस्ट होता है, जिसे एनकैप टेस्ट कहा जाता है और टेस्टिंग के आधार पर 1 स्टार से लेकर 5 स्टार तक उस गाड़ी को रेटिंग के तौर पर दिया जाता है। 1 स्टार मतलब सबसे कम सुरक्षित कार और 5 स्टार अर्थात सेफ्टी के मामले में सबसे ज्यादा सुरक्षित कार।

इसी सिलसिले में वॉक्सवैगन (Volkswagen Virtus) की एक कार ने भी अभी फाइव स्टार रेटिंग (5 Star Rating) हासिल कर लिया है। आम उसी की बात करने वाले हैं और आपको बताएंगे की कैसे प्रोसेस होती है फाइव स्टार रेटिंग।
वाक्सवैगन की इस कार ने हासिल किए 5 स्टार सुरक्षा रेटिंग्स

इन्हीं सुरक्षा मापदंडों के चलते कुछ समय पूर्व ही फॉक्सवैगन की एक प्रचलित कार पोलो को उनके अपने क्रैश टेस्टिंग (Car Crash Testing) के दौरान 0 स्टार रेटिंग देते हुए फेल कर दिया था। तब कंपनी ने इस बात को सीरियसली लेते हुए अनुमान लगाया कि सेफ्टी के लिए कौन-कौन से मेजरमेंट जरूरी होते हैं।
उसके बाद पैसेंजर एयर बैग्स के साथ बहुत सारे ब्रेकिंग सिस्टम को भी इन्होंने शामिल किया। जिससे अभी हाल ही में लैटिन एनकैप संस्था ने क्रैश टेस्ट के दौरान वॉक्सवैगन की वर्टस कार को सुरक्षा के मामलों में फाइव स्टार रेटिंग देते हुए पास कर दिया है।

साथ ही ग्लोबल एनकैप संस्था ने क्रैश टेस्ट के साथ वॉक्सवैगन की ही Kushaq और टाइगुन कार को भी फाइव स्टार रेटिंग देते हुए सुरक्षित घोषित कर दिया है। आज वॉक्सवैगन के पास फाइव स्टार रेटिंग वाली कई कारों की रेंज उपलब्ध है।

NCAP गाड़ियों को सेफ्टी रेटिंग देने का काम करती है ये खास संस्था
दोस्तों कारों की क्रैश टेस्ट के द्वारा एक्सीडेंट सुरक्षा मापदंडों का टेस्ट किया जाता है। इसके लिए दुनिया भर में कई संस्थाएं उपलब्ध है। जिसमें से भारत में भी एक सरकारी संस्था यह काम करती है। जिसे एनकैप के नाम से जाना जाता है।

इस का फुल फॉर्म है न्यू कार एसेसमेंट प्रोग्राम जो कई सारे मापदंडों के द्वारा कार को क्रैश टेस्ट (Car Crash Test) करके अर्थात कार को अलग-अलग तरीके से एक्सीडेंट की परिस्थितियों में डाल के यह चेक करती है कि इसके अंदर बैठे हुए पैसेंजर एक्सीडेंट के दौरान सुरक्षित होंगे या नहीं साथ ही यही एनकैप संस्था ग्लोबल लेवल पर भी काम करती है जिसे GNCAP कहा जाता है।

इन मापदंडों पर गाड़ियों की सेफ्टी को परखा जाता है
गाड़ियों को क्रैश टेस्ट के दौरान कई अलग-अलग मापदंडों पर टेस्टिंग करती है जैसे वॉक्सवैगन की इस गाड़ी को भी किया गया जो इस प्रकार है फ्रंट बोनट की तरफ से टेस्टिंग। कार के साइड डोर्स की तरफ से इंपैक्ट की टेस्टिंग एवं कार के पिछले हिस्से में इंपैक्ट की टेस्टिंग

ऐसे कार की बॉडी को चारों तरफ से इंपैक्ट करके यह देखा जाता है कि कहीं गाड़ी भिड़ने पर किसी एंगल से पैसेंजर को नुकसान ना हो यह मापदंड ग्लोबली स्टैंडर्ड तरीके से टेस्ट किए जाते हैं।

सिटी AEB टेस्टिंग मैं भी गाड़ी ने पूरे मार्क्स हासिल किए
तेज रफ्तार ड्राइविंग के दौरान अक्सर ह्यूमन Error के चलते लोग इमरजेंसी में ब्रेक नहीं लगा पाते, जिससे दुर्घटना के चांसेस बढ़ जाते हैं, इसीलिए एक खास टेक्नोलॉजी का आविष्कार किया गया, जिसे ऑटोमेटिक इमरजेंसी ब्रेकिंग कहां जाता है।

अगर किसी सिचुएशन में ड्राइवर गाड़ी को रोकने में असमर्थ हुआ तो कार के सामने किसी ऑब्जेक्ट के आ जाने पर यह टेक्नोलॉजी ऑटोमेटिक ब्रेक का इस्तेमाल कर गाड़ी रोक देगी। वॉक्सवैगन के इस मॉडल में इस फैसिलिटी को भी सीटी ड्राइव के दौरान टेस्ट कर सफल पाया गया।

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