एक किसान ने खेत में ऐसा अनोखा प्रयोग किया की पूरे देश से ऑर्डर मिलने लगे, कमाई भी शानदार

B Editor

अगर प्राचीन समय से अभी तक के अविष्कारों पर गौर किया जाये, तो सबसे ज्यादा अविष्कार भारतीय उपमहाद्वीप के लोगो ने किये हैं। विदेशो के लोगो द्वारा किये गए अधिकतर अविष्कार भी भारतीय विद्वानों की दी हुई गढ़नाओं और स्क्रिप्टों के आधार पर की गई है।
ऐसे में आज भी भारत के कुछ लोग जरुरत पढ़ने पर या अपने जुगाड़ से कई खोज या इनोवेशन करते रहते हैं। जरुरत ही अविष्कार की जननी होती है। आज भी हम एक ऐसे किसान के बारे में जानेंगे, जिसने खेती में ही अविष्कार कर दिया।

मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के धार के किसान विनोद चौहान (Farmer Vinod Chauhan) ने ऐसा कमाल किया है, जो आपको हैरान कर देगा। उन्होंने मात्र एक प्रयोग के तौर पर काले गेहूं की खेती (Black Wheat Farming) और आज वह सफल भी हो गए हैं। जी हाँ काला गेहूं भी हो सकता है। अब हाल यह है की विनोद के काले गेहूं की डिमांड बढ़ गई है।

उन्होंने 20 बीघा जमीन में 5 क्विंटल गेहूं लगाया। फिर इस 20 बीघा जमीन में 200 क्विंटल फसल का उत्पादन हुआ। अब उनकी कमाई में भी बहुत इज़ाफ़ा होने लगा है। जिन खेतों से वह ठीक ठाक कमाई कर रहे थे, अब उन खेतों से कई गुना अधिक कमाई (Income) कर रहे हैं। उनकी इस अनोखी फसल (Unique Crop) की डिमांड पूरे देश से आ रही है।

काले गेहूं में एंथोसाइनिन और जिंक की मात्रा अधिक
आपको बता दें की उनके इस कार्य के पीछे पंजाब के रिसर्च सेंटर नेशनल एग्री फूड बायो टेक्नॉलजी मोहाली के कृषि वैज्ञानिक डॉ मोनिका गर्ग का हाँथ हैं। काले गेहूं (Black Wheat) में एंथोसाइनिन की मात्रा सामान्य गेहूं की तुलना में 149 प्रति मिलियन तक अधिक देखी गई है। इसमें जिंक की मात्रा भी अधिक पाई जाती है।

मध्य प्रदेश के इस किसान विनोद चौहान ने अपनी काले गेंहू की फसल के बारे में यू-टूब से जानकारी ली थी। जिसने इसका बीज 200 रुपये प्रति किलो बेचा गया था। फिर बीज पाने के बाद फसल तैयार की और उन्हें मध्य प्रदेश के अलावा राजस्थान, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और उत्तराखंड से आर्डर हासिल होने लगे। ऐसे में अब उन्हें करोड़ो की कमाई होगी।

Money Presentation Photoकुछ जानकार बताते हैं कि काले गेहूं में फैट की मात्रा बहुत कम होती है। ऐसे में अधिक मोटे लोगो को इसका सेवन करना उपयुक्त बताया गया है। काले गेहूं पर अभी भी शोध कार्य चल रहा है। मिली जानकारी के अनुसार इसमें एंटी ऑक्सीडेंट की मात्रा अधिक पाई जाती है।

इस काले गेंहू की सबसे खास बात यह है की इसे खाने से पाचन क्षमता में भी इज़ाफ़ा होता है। इसमें एथोसाइनिन होने के चलते यह सुगर फ्री भी होता है। इसमें स्टार्च की मात्रा भी कम होती है। ऐसे में यह काला गेंहू (Kala Genhu) मानव स्वस्थ के लिए कितना फायदेमंद है या नहीं, इस पर अभी रिसर्च चल रही है। भारत सरकार की मान्यता मिलने के बाद इस प्रकार के हाइब्रिड गेंहू की पैदावार और बढ़ सकती है।

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