ट्रेन में यात्रा के वक़्त ऐसी कोच में मिलने वाले तकिया-कंबल आप घर ले जा सकते हैं, नियम जान लें

B Editor

मुफ्त की मिली चीजें लोगों को खूब भाती है। किसी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म या फिर किसी सेल में एक के साथ एक फ्री लोगो देखकर लोगों के मन में ऐसी उत्सुकता होती है कि वह कब उस दुकान में पहुंच जाते और कब चीजें खरीद लेते।

लोगों का कहना है कि मुफ्त में मिली चीज हमारे लिए उपहार होता है। आज हम रेलवे यात्रियों को मिलने वाले एसी कोच की फैसिलिटी के बारे में बताएंगे कि वे किस तरह ट्रेन के एसी कोच में मिलने वाले कंबल और तकिए को अपने साथ लेकर जा सकते हैं।
नागरिकता को तार-तार करते लोग

अक्सर लोगों को चीजों का दुरुपयोग करते हुए देखा गया है, जैसे ट्रेन के सफर में कई यात्री ऐसे होते हैं जो बिना टिकट के ही यात्रा कर लेते हैं। वह भी टी सी की नजरों से बच बचाके, परंतु यह सही नहीं है, क्योंकि रेलवे के द्वारा शुल्क काफी कम और अच्छी सेवाएं दी जाती है।

ऐसा करना सही नहीं है लोग अपनी नागरिकता का सही इस्तेमाल नहीं करते यदि वह ऐसा करते हैं तो । एक जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य होता है कि वह टिकट लेकर ही ट्रेन में यात्रा करें। वहीं दूसरी तरफ लोगों का मन एसी कोच में मिलने वाले तकिए और कंबल की तरफ भी ललचाता है वे सोचते हैं कि हम उन्हें उपयोग करते हैं तो घर भी ले जा सकते हैं।

यह सवाल कई लोगों का होता है, तो चलिए आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से बताएंगे कि ऐसा क्या किया जाए कि एसी कोच में मिलने वाले कंबल तकिए हम अपने साथ घर ले जा सकते है। और सबसे मुख्य बात कि इनको ले जाने में हमें कितना शुल्क देना होगा।

जाने कहां शुरू हुई है यह सुविधा
एसी कोच में मिलने वाले चादर और तकिया को अपने साथ ले जाने की सुविधा केवल अभी नई दिल्ली में दी जा रही है। डिब्रूगढ़ राजधानी, चेन्नई राजधानी और नई दिल्ली से वाराणसी तक चलने वाली महामना एक्सप्रेस में उपयोग के बाद चीजों को घर ले जाने की व्यवस्था सुचारु की हुई है। यदि अन्य रेलों की बात करें तो इस बारे में अभी ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है और विस्तार से हम आपको इस पोस्ट के आगे की लाइनों में बताएंगे।
आपदा काल महामारी के तहत सुविधाओं पर रोक लगी

वर्ष 2020 की आपदा काल के कारण पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ था। लोग पहले जात पात में छुआ-छूत मानते थे और इस बीमारी ने पंडित को भी छुआ-छूत के कटघरे में खड़ा कर दिया। महामारी से बचने के लिए तरह-तरह के उपाय होने शुरू हुए थे।

कुछ समय लॉकडाउन में सभी डिपार्टमेंट बंद रहे हम कह सकते हैं की देश पूरी तरह बंद हो गया था। उस समय रेलवे भी बंद था, कुछ समय बाद रेलवे की यात्रा शुरू हुई। महामारी के पूर्व में ट्रेनों के एसी कोच में यात्रियों को कंबल और तकिए की सुविधा दी जाती थी, परंतु जैसे ही महामारी प्रारंभ हुई, तो रेलवे ने इस सुविधा को बंद कर दिया इसका कारण महामारी से बचाव था।

यदि यात्री को सफर करना है, तो अपने स्वयं के बिस्तर और तौलिया लेकर आते थे। यह स्थिति पैसेंजर के लिए बहुत ही मुसीबत से भरी थी। परंतु सुरक्षित रहना भी उनके लिए बेहद जरूरी था, इसीलिए रेलवे को यह कदम उठाना पड़ा।

नए नियमों की हुई शुरुआत
जैसे ही महामारी से थोड़ी राहत मिली, तो लोगों के जीवन दोबारा पटरी पर लौटें। साथ ही देश में हो रहे काम को भी एक बार फिर गति मिली। इसके साथ ही रेलवे मंत्रालय ने भी अपनी सुविधाओं को सुचारू करने के लिए नए नए नियमों को लागू किया।

अभी भी महामारी से पूर्णतया छुटकारा नहीं मिला, इसीलिए रेल मंत्रालय देश की स्थिति दोबारा खराब ना हो इसीलिए सुरक्षा से संबंधित सभी चीजें पैसेंजर को उपलब्ध कराते हैं। यात्रियों की सुविधा के लिए एक बार फिर से एसी कोच में बिस्तर को उपलब्ध कराया।

नए नियमों के मुताबिक अब आपको इस सुविधा के लिए रेल मंत्रालय को शुल्क देना होगाा। आपको बता दें रेल मंत्रालय ने यह सुविधा देने के लिए पैसेंजर से Rs 300 शुल्क के तौर पर लिए जाते। इसके बाद ही वे पैसेंजर को दो कंबल और एक तकिया देते हैं। 300 Rs वे सुरक्षित चीजों के लिए लेते हैं।

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