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भारतीय शेयर बाजार का सबसे बड़ा आईपीओ: कैसा है एलआईसी का आपिओ? कैसे लगाएं पैसा, 4 मई से 9 मई तक सब्सक्रिप्शन के लिए खुला रहेगा

B Editor

भारतीय शेयर बाजार का सबसे बड़ा आईपीओ 4 मई को रिटेल निवेशकों के लिए खुलेगा। लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (LIC) के इस आईपीओ के जरिए सरकार इस बीमा कंपनी में अपनी साढ़े 3 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर करीब 21 हजार करोड़ जुटाना चाहती है। दुनिया में पांचवें नंबर की इंश्योरेंस कंपनी का यह आईपीओ कई मायनों में खास बन गया है।

एक तो यह भारत की सबसे बड़ी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी का आईपीओ है, दूसरे इसमें एलआईसी के पॉलिसीधारकों के लिए एक अलग कैटेगरी बनाई गई है। आइए देखते हैं कि एलआईसी के आईपीओ (LIC IPO) में अलग-अलग कैटेगरी के लिए कितना डिस्काउंट है, पॉलिसीहोल्डर कोटे में किन लोगों को निवेश का मौका मिलेगा और यह भी कि यह आईपीओ किस तरह के निवेशकों के लिए अच्छा दिख रहा है।

कब होगी LIC IPO कि लिस्टिंग?
यह तो आप जानते ही हैं कि आईपीओ 9 मई को बंद होगा और इसका प्राइस बैंड 902 से 949 रुपये तय किया गया है। शेयर अलॉटमेंट 12 मई को होगा। निवेशकों के डीमैट एकाउंट में शेयर 16 मई को क्रेडिट किए जाएंगे और लिस्टिंग 17 मई को होगी।

किसको कितना डिस्काउंट?
निवेशक 15 शेयरों के लॉट साइज और इसके मल्टिपल में बिड कर सकेंगे। रिटेल निवेशकों को कट-ऑफ प्राइस पर 45 रुपये का डिस्काउंट मिलेगा। एलआईसी के कर्मचारियों के लिए भी इतना ही डिस्काउंट है। एलआईसी के पॉलिसीहोल्डर्स को प्रति शेयर 60 रुपये का डिस्काउंट मिलेगा।

कौन से LIC पॉलिसीहोल्डर कर सकेंगे निवेश?
अब बारी है इस आईपीओ की एक बेहद खास बात की। दरअसल यह पहला मौका है, जब भारतीय बाजार में किसी बीमा कंपनी के पॉलिसीधारकों के लिए कोटा तय किया गया है। लेकिन पेच यह है कि पॉलिसीहोल्डर कोटे में LIC के सभी पॉलिसीधारक अप्लाई नहीं कर सकेंगे। इस आईपीओ के लिए ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रोस्पेक्टस 13 फरवरी को सेबी के पास जमा किया गया। इस तारीख तक जिन लोगों के नाम पर LIC की पॉलिसी होगी, वे ही पॉलिसीहोल्डर कोटे के तहत अप्लाई कर सकेंगे। लेकिन पॉलिसीहोल्डर होने भर से इस कोटे से अप्लाई करने का मौका नहीं मिलेगा। डीमैट एकाउंट भी पॉलिसीधारक के नाम पर ही होना चाहिए। पति या पत्नी या बेटे या रिश्तेदार के डीमैट एकाउंट का सहारा नहीं लिया जा सकेगा।

LIC IPO
ज्वाइंट डीमैट अकाउंट होने पर क्या होगा?
एक और मसला यह है कि कि अगर पति और पत्नी, दोनों ही एलआईसी के अलग-अलग पॉलिसीहोल्डर हों, लेकिन उनका डीमैट अकाउंट ज्वाइंट हो तो इस सूरत में पॉलिसीहोल्डर कोटे से दोनों लोग अप्लाई कर सकेंगे या कोई एक? सेबी की गाइडलाइंस के मुताबिक, किसी भी डीमैट अकाउंट के दोनों बेनेफिशियरी आईपीओ में अलग-अलग अप्लाई नहीं कर सकते। वही शख्स अप्लाई कर सकता है, जो फर्स्ट या प्राइमरी बेनेफिशियरी हो। यानी पॉलिसीहोल्डर कोटे का फायदा तभी मिलेगा, जब डीमैट अकाउंट अपने नाम पर हो। यह तो बात हुई ज्वाइंट डीमैट अकाउंट की, लेकिन अगर ज्वाइंट लाइफ पॉलिसी हो, तब क्या होगा? ऐसी सूरत में दोनों पॉलिसीधारक इस कोटे में अप्लाई कर सकेंगे, बशर्ते वे डीमैट एकाउंट के प्राइमरी होल्डर हों।

LIC IPO के लिए किन्हें नहीं माना जाएगा पॉलिसीहोल्डर?
अब सवाल आता है कि पॉलिसीहोल्डर कोटे के दायरे से किन्हें बाहर रखा गया है? पहले तो यह जान लीजिए कि LIC की ग्रुप पॉलिसी इसके दायरे में नहीं हैं। इसके अलावा इसकी कोई भी पॉलिसी लेने वाला व्यक्ति इस कोटे में आवेदन कर सकता है, बशर्ते वह बाकी शर्तें पूरी करता हो। पॉलिसीधारक के नॉमिनी भी इस कोटे के तहत अप्लाई नहीं कर सकेंगे। अगर पॉलिसीधारक का निधन हो चुका हो, तो एन्युटी पा रहे पति या पत्नी को भी पॉलिसीहोल्डर कोटे में अप्लाई करने लायक नहीं माना जाएगा।

क्या दो कैटेगरी में अप्लाई कर सकेंगे?
अब सवाल यह है कि क्या रिटेल निवेशक पॉलिसीहोल्डर कोटे में भी अप्लाई कर सकते हैं? जवाब है, हां। रिटेल निवेशक 2 लाख रुपये तक की बिड अपने कोटे में दे सकते हैं। साथ ही, अगर वे पॉलिसीहोल्डर होने की शर्त पूरी करते हों तो इस कोटे के तहत भी 2 लाख रुपये तक की बिड दे सकते हैं। यानी वे दोनों कैटेगरी मिलाकर 4 लाख रुपये तक की बिड दे सकते हैं। साफ है कि जो एलआईसी के पॉलिसीहोल्डर हैं, उन्हें शेयर अलॉटमेंट के चांस बढ़ जाएंगे, अगर वे रिटेल कैटेगरी में भी अप्लाई कर दें। उन्हें डिस्काउंट भी दोनों कैटेगरी के तहत मिलेगा।

LIC कर्मचारी अगर पॉलिसीहोल्डर भी हो तो क्या होगा?
अब सवाल उठता है कि अगर LIC का कर्मचारी इसका पॉलिसीहोल्डर भी हो तो उनके मामले में क्या होगा? LIC के कर्मचारी चाहें तो स्टाफ वाले कोटे के अलावा पॉलिसीहोल्डर और रिटेल कैटेगरी में भी अप्लाई कर सकते हैं। इस तरह वे कुल 6 लाख रुपये तक की बिड कर सकते हैं। उन्हें तीनों कैटेगरी के लिए तय डिस्काउंट भी मिलेगा।

कितना है LIC का दमखम?
अब बारी आती है एलआईसी के आईपीओ के वैल्यूएशन की यानी आईपीओ सस्ता दिख रहा है या महंगा? लेकिन उससे पहले एक नजर डाल लेते हैं एलआईसी के कारोबार पर। इसका एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 40 लाख करोड़ रुपये का है। यह देश की प्राइवेट सेक्टर की लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों के कंबाइंड AUM का तीन गुना है। 13 लाख से ज्यादा तो एजेंट हैं एलआईसी के यानी देश के कुल इंश्योरेंस एजेंट्स में से 55 फीसदी एलआईसी के लिए काम करते हैं। फाइनैंशल ईयर 2021 में एलआईसी ने 2 करोड़ 10 लाख इंडिविजुअल पॉलिसी बेचीं। यह टोटल मार्केट के 75 फीसदी के बराबर था।

जहां तक कमाई की बात है तो फाइनैंशल ईयर 2019 से 2021 के बीच एलआईसी का नेट प्रीमियम सालाना साढ़े 8 फीसदी के रेट से बढ़ा और 4 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इस दौरान नेट प्रॉफिट लगभग साढ़े 6 फीसदी बढ़कर 2 हजार 974 करोड़ रुपये रहा। अब सवाल यह है कि इसके मुकाबले प्राइवेट सेक्टर की लिस्टेड कंपनियों का हाल क्या था? ये कंपनियां एलआईसी के मुकाबले तो छोटी हैं, लेकिन इनकी ग्रोथ कहीं ज्यादा तेज है। जिस अवधि की बात हो रही है, उस दौरान एसबीआई लाइफ का न्यू बिजनेस प्रीमियम (NBP) सालाना 16 पर्सेंट के रेट से बढ़ा। एचडीएफसी लाइफ का आंकड़ा तो 22 पर्सेंट का रहा। लेकिन एलआईसी की ग्रोथ साढ़े 13 पर्सेंट ही रही।

LIC आईपीओ सस्ता है या महंगा?
अब बारी उस सवाल की, जो हर आईपीओ निवेशक के लिए बेहद अहम होता है। तो देखते हैं कि एलआईसी का आईपीओ सस्ता है महंगा? एलआईसी ग्रॉस रिटेन प्रीमियम (GWP) के आधार पर देश की सबसे बड़ी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी है। अगर इंडियन एंबेडेड वैल्यू (IEV) के आधार पर देखें तो आईपीओ का वैल्यूएशन (Valuation of LIC IPO) आकर्षक दिख रहा है। अब सवाल यह है कि IEV क्या है? इसमें यह देखा जाता है कि अभी जो पॉलिसी चल रही हैं, उनसे भविष्य में जो प्रॉफिट होगा, उसकी मौजूदा वैल्यू कितनी है। यह भी देखा जाता है कि एडजस्टेड नेटवर्थ का आंकड़ा क्या है। इन दोनों को जोड़ने से IEV पता चलती है। इंडियन एंबेडेड वैल्यू के लिहाज से तो यह आईपीओ आकर्षक दिख रहा है, लेकिन इंश्योरेंस कंपनियों के आईपीओ के वैल्यूएशन के लिए एक और पैमाना इस्तेमाल किया जाता है। इसमें यह देखा जाता है कि नए बिजनेस की वैल्यू कितनी है। इससे यह पता चलता है कि एक साल में बेची जाने वाली नई पॉलिसी से भविष्य में जो मुनाफा होगा, उसकी अभी कितनी वैल्यू है। इस पैमाने पर यानी वैल्यू ऑफ न्यू बिजनेस के लिहाज से एलआईसी का आईपीओ कुछ महंगा दिख रहा है। VNB के लिहाज से प्राइवेट सेक्टर की लिस्टेड इंश्योरेंस कंपनियां बेहतर हैं।

किनके लिए आकर्षक है LIC आईपीओ?
अब मसला यह है कि एलआईसी का आईपीओ किस तरह के निवेशकों के लिए फिट दिख रहा है? अब तक जो बातें हमने बताईं, उनमें यह भी जोड़ लीजिए कि सेबी के नियमों का पालन करने के लिए सरकार एलआईसी में आगे चलकर और हिस्सेदारी बेच सकती है। साथ ही, एलआईसी के कामकाज में सरकारी दखल भी रहेगा। शेयर के परफॉर्मेंस पर इन चीजों का असर पड़ सकता है। ऐसे में यह आईपीओ उन निवेशकों के लिए फिट दिख रहा है, जो लंबे समय के लिए इसमें पैसा लगाना चाहते हैं और उनमें ज्यादा रिस्क लेने का दम भी है।

क्या कह रहा है ग्रे मार्केट?
जहां तक ग्रे मार्केट में चल रही हलचल की बात है तो इससे यही इशारा मिल रहा है कि लिस्टिंग गेन मिल सकता है। LIC के स्टॉक के लिए ग्रे मार्केट प्रीमियम पिछले कुछ दिनों में चार गुना हो चुका है। सूत्रों के मुताबिक, एलआईसी अभी ग्रे मार्केट में करीब 90 रुपये प्रीमियम कमोड कर रहा है। यह इसके प्राइस बैंड से लगभग 10 प्रतिशत अधिक है। जिस दिन एलआईसी के आईपीओ के साइज और प्राइस बैंड का ऐलान किया गया था, उस दिन ग्रे मार्केट प्रीमियम करीब 25 रुपये का था।

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