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क्या यह सच है कि हजरत मोहम्मद पैगंबर एक शाकाहारी व्यक्ती थे एवं उन्होंने अपने जीवनकाल में कभी मांस नहीं खाया?

भारत अनेकता में एकता वाला देश है, यहाँ सभी धर्मों के लोग आपस में मिलजुल कर रहते हैं। हर धार्मिक ग्रंथ का अपना एक महत्व है, हर धार्मिक ग्रंथ अपने धर्म की सच्चाई बयान करता है। जैसे हिन्दुओं में श्री भगवत गीता जी, सिक्खों में श्री ग्रंथ साहिब जी, ईसाई धर्म में पवित्र बाईबल, ऐसे ही मुसलमानों में पवित्र कुरान शरीफ है जिसका ज्ञान हजरत मोहम्मद जी को बोला गया है। मुस्लिम मांस खाने को खुदा का आदेश मानते हैं लेकिन क्या सच में ऐसा है, अब सोचने की बात यह है कि क्या हजरत मोहम्मद जी ने भी मास खाया था ?

क्या सच में हजरत मोहम्मद जी ने मांस खाया था?
मुस्लिम लोगों की पवित्र पुस्तक कुरान शरीफ है और सभी मुस्लिम यह मानते हैं कि पवित्र कुरान शरीफ में जो ज्ञान है इससे ऊपर कोई ज्ञान नहीं है। हजरत मोहम्मद जी उनके लिए खुदा के भेजे हुए नबी हैं। जब हजरत मोहम्मद जी ने कभी मांस नहीं खाया तो यह मुस्लिम समाज में एक झूठ फैलाया गया है कि मास खाना चाहिए। सोचने की बात तो यह है कि हम सब एक मालिक (परमात्मा) के बच्चे हैं, परमात्मा कैसे अपने बच्चों को एक-दूसरे को मारने का संदेश दे सकता है।

संत गरीबदास जी (गाँव.छुड़ानी जिला,झज्जर) अपनी वाणी में कहते हैं:-

गरीब, नबी मुहम्मद नमस्कार है, राम रसूल कहाया।

एक लाख अस्सी कूं सौगन्ध, जिन नहीं करद चलाया।।

अर्स-कुर्स पर अल्लह तख्त है,खालिक बिन नहीं खाली।

वे पैगम्बर पाक पुरूष थे, साहेब के अबदाली।।

पवित्र कुरान शरीफ का ज्ञान बोलने वाला अल्लाह हु अकबर नहीं है
पवित्र कुरान शरीफ का ज्ञान हजरत मोहम्मद जी से जबरील फरिस्ते ने जबरदस्ती बुलवाया है। पवित्र कुरान शरीफ सूरत फुरकानी 25 आयत 59 में, कुरान शरीफ का कथन स्पष्ट रूप से यह है कि बाखबर आपको सर्वोच्च ईश्वर के बारे में बताएंगे, मुझे इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं है। पवित्र गीता जी अध्याय 4 श्लोक 34 में उस बाखबर का उल्लेख तत्त्वदर्शी संत के रूप में किया गया है। इससे यह सिद्ध होता है कि पवित्र कुरान शरीफ का ज्ञान बोलने वाले को भी उस अल्लाह हु अकबर के बारे में जानकारी नहीं है, तो पवित्र कुरान शरीफ का ज्ञान बोलने वाला खुदा कैसे हुआ।

हजरत मोहम्मद जी ने गाय को जीवित किया
एक बार हजरत मोहम्मद जी ने गाय को शब्द शक्ति (वचन) से मार दिया और फिर जीवित कर दिया, लेकिन उन्होंने मांस नहीं खाया। दूसरी ओर मुस्लिम इस दिन गाय को मारकर यह दिन मनाते हैं कि हजरत मोहम्मद जी ने गाय जीवित की थी जबकि उन्होंने तो मारकर जीवित की थी जो सामान्य मुसलमान नही कर सकते। मुस्लिम समाज के लोग गाय का मांस प्रसाद रूप में खाते हैं।

कबीर साहेब जी अपनी वाणी में कहते हैं:-

मारी गऊ शब्द के तीरं, ऐसे थे मोहम्मद पीरं।।

शब्दै फिर जिवाई, हंसा राख्या माँस नहीं भाख्या,

एैसे पीर मुहम्मद भाई।।

मास खाने का संदेश हजरत मोहम्मद जी का नहीं है और न ही अल्लाह हु अकबर का
जैसे कि ऊपर स्प्ष्ट कर दिया गया है कि मांस खाने का संदेश परमात्मा का नहीं तो फिर क्यों मुस्लिम मांस खाते हैं? मुस्लिम हजरत मोहम्मद जी के नाम पर मांस खाते हैं जबकि जीव हत्या पाप है, अब सोचने की बात यह है कि जिस महापुरुष (हजरत मोहम्मद जी) ने गाय को जीवित कर दिया लेकिन उसका मांस नहीं खाया क्या वो मांस खाने का संदेश दे सकते हैं?

बात करते हैं पुण्य की, करते हैं घोर अधर्म।

दोनों दीन नरक में पड़हीं, कुछ तो करो शर्म ।।

हजरत मोहम्मद जी ने परमात्मा की भक्ति का संदेश दिया था ना कि मास खाने का। उन्हें काल ब्रह्म ने 50 नमाज़ करने का संदेश दिया था जिसे हजरत मोहम्मद जी ने ही मिन्नतें करके पाँच नमाज़ कराया था। बाद में परमेश्वर कबीर साहेब जी भी हजरत मोहम्मद जी को सतलोक लेकर गए थे।

कबीर परमेश्वर ने कहा है:-

हम मुहम्मद को सतलोक ले गया। इच्छा रूप वहाँ नहीं रहयो।

उल्ट मुहम्मद महल पठाया, गुज बीरज एक कलमा लाया।।

रोजा, बंग ,नमाज दई रे, बिसमिल की नहीं बात कही रे।

परमात्मा का विधान क्या कहता है मनुष्यों के भोजन के बारे में?
मुस्लिम समाज में मांस खाना एक आम बात है, क्योंकि उनको उनके धार्मिक गुरुओं ने भ्रमित कर रखा है। मांस खाना लोक वेद के आधार पर चल रहा है, मांस खाने का संदेश परमात्मा ने कहीं नहीं दिया। दूसरी ओर बात करें हजरत मोहम्मद जी की, जिनको मुस्लिम समाज के लोग अल्लाह हु अकबर का भेजा रसूल मानते हैं, उन्होंने कभी मांस नहीं खाया। पवित्र बाईबल में 1:29 में परमेश्वर ने मनुष्यों को आदेश दिया जितने बीज वाले छोटे-छोटे पेड़ सारी पृथ्वी के ऊपर हैं यानि बाजरा ,ज्वार, गेहूँ आदि और जितने वृक्षों में बीज वाले फल होते हैं जैसे आम, अमरूद, केले, अंगूर आदि वे सब मैंने तुमको दिए हैं, वे तुम्हारे भोजन के लिए हैं।

क्या जीव हिंसा करने से परमात्मा खुश हो सकता है?
हम सभी एक परमेश्वर की सन्तान हैं, कोई भी पिता यह नहीं चाहेगा कि उसके बच्चे एक-दूसरे को काटकर खाए। पवित्र बाईवल में 1:26 में यह प्रमाण है कि परमात्मा ने सबको अपने स्वरूप का बनाया और वो परमेश्वर सभी को समान दृष्टि से देखता हैं।

कबीर साहेब अपनी वाणी में कहते हैं:-

कबीर, माँस माँस सब एक है, मुरगी हिरनी गाय।

आँखि देखि नर खात है, ते नर नरकहिं जाय।।

खुदा को कैसे पाया जा सकता है?
परमात्मा को उसके बताए मार्ग पर चलकर पाया जा सकता है और उसकी बताई हुई साधना करके पाया जा सकता है। इसके लिए हमे उस बाखबर के पास जाना चाहिए जिसके बारे में पवित्र कुरान शरीफ का ज्ञानदाता हजरत मोहम्मद जी को कहता है। कुरान शरीफ़ की सूरत फुर्कानी 25 आयत 59 में कुरान शरीफ़ का ज्ञान देने वाला अल्लाह (प्रभु) कह रहा है कि यह कबीर वहीं अल्लाह है जिसने ज़मीं (जमीन) से लेकर अर्श (आसमान) तक जो भी विद्यमान है सब की छः दिन में सृष्टि रची और सातवें दिन सतलोक में सिंहासन पर विराजमान हुए।

उस अल्लाह की ख़बर (जानकारी) तो कोई बाखबर (इल्मवाले) ही दे सकता है जिससे पता चलेगा कि अल्लाह की प्राप्ति कैसे होगी। कुरान शरीफ़ दाता कह रहा है कि में उस अल्लाह के बारे में नही जानता जो अविनाशी है सत्यलोक में विराजमान हैं उसकी वास्तविक जानकारी तत्वदर्शी (बाखबर) संत से पूछो, में नहीं जानता। वो तत्वदर्शी संत कोई और नहीं बल्कि जगतगुरु संत रामपाल जी महाराज हैं, जिन्होंने सभी ग्रंथों की पूर्ण जानकारी दी है। अधिक जानकारी के लिए पढ़े पुस्तक मुसलमान नही समझे ज्ञान कुरआन।

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