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एक समय गरीबी के चलते लोगों ने उड़ाया मजाक, आज बुर्ज खलीफा में 22 फ्लैट खरीद लिये

B Editor

एक दोहा है करत करत अभ्यास के जड़ मति हाट सूजान रासरी आवत जान के सिल पर परत निशान इसका अर्थ है की निरंतर प्रयास से कोई भी काम में सफलता मिल सकती है, चाहे फिर वो काम कितना की कठिन क्यों ना हो। दुनिया में लोगो का आना जाना तय है गरीबी अमीरी इंसान के हाथ में होती है।

यदि कोई इंसान गरीब पैदा होता है, तो उसका उसमे कोई दोष नही परंतु बिना मेहनत करे बिना संघर्ष करे इंसान गरीब ही मर जाए तो इसमें दोष उसी इंसान का है। जीवन में कुछ भी आसानी से नहीं मिलता निरंतर प्रयास से चीज़े आसन हो जाती है। दुनिया का एक बहुत बड़ा नियम है परिवर्तन हम जानते है वक्त बदलने में देर नहीं लगती कब कोन राजा से रंक और रंक से राजा हो जाए कोई जान नही सकता।

ऐसी ही एक कहानी है केरल के एक व्यक्ति की जो लोगो की हसी का पात्र था। लोग ताने मरते उसका मजाक उड़ाते और आज वही व्यक्ति बुर्ज खलीफा (Burj Khalifa) में 22 फ्लैट का मालिक बन चुका है, आइए जानते है उसकी कहानी ।

केरल के जॉर्ज की सफलता की कहानी (Success Story)
लोग के लिए और रेस आसान होती है और वे जीत भी जाते है, परंतु जिंदगी की रेस आसान नहीं होती और नामुमकिन भी नही जिंदगी की रेस में वही लोग पीछे रह जाते है जो रेस के बीच में ही हार मान लेते है और दौड़ना छोड़ देते है। निरंतर मेहनत करके बिना फल की चिंता किए कब किस्मत पलट जाए लोग इसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते।

विश्व में इसके कई उदहारण है। जिनमे से एक जॉर्ज है। ये ऐसे व्यक्ति है, जो बचपन में कबाड़ी बनना चाहते थे। इन्होंने अपने भविष्य के लिए कुछ नहीं सोचा था। परंतु उनपर ऊपर वाले की कृपा हुई, उनकी मेहनत देख ईश्वर ने उन्हें आईएएस परीक्षा (IAS Exam) का टॉपर बना दिया। हम बात कर रहे है, जॉर्ज की जिनका जीवन भी महान वैज्ञानिक डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के जैसा ही रहा। जॉर्ज केरल के निवासी है।

तानो से मिली प्रेरणा
केरल राज्य में जन्मे जॉर्ज का पूरा नाम जॉर्ज वी निरेपराम्बिल (George V Nereaparambil) है। वे केरल के एक बेहद गरीब परिवार में जन्मे है। पूरा बचपन उन्होंने आर्थिक तंगी में बिताया है। अक्सर कई बच्चे आर्थिक तंगी के चलते अपने बहुत से सपनो को पूरा नहीं कर पाते। लेकिन जॉर्ज गरीबी में भी बड़े बड़े सपने देखते और खुद को बड़ा आदमी बनाने के लिए विचार करते है।

जॉर्ज पहले एक मोटर मैकेनिक का काम करते थे। जिससे वे अपना डेली का खर्च निकाल सके। एक बार उनके एक रिश्तेदार ने उनका मजाक उड़ाते हुए कहा कि ‘तुमने कभी बुर्ज खलीफा देखा है अरे तुम तो उसके अंदर जा भी नही सकते’ रिश्तेदार ने तो यह बात मजाक में कही थी। परंतु जॉर्ज इससे प्रेरित हुए। उनके मन में बस यही बात चलती रहती।

फिर उन्होंने खूब मेहनत करना प्रारंभ किया और बुर्ज खलीफा में प्रवेश करने के सपने को पूरा करने के की दौड़ में लग गए। वो समय भी आया जब उन्होंने बुर्ज खलीफा में ना केवल प्रवेश किया, बल्कि उसके 22 फ्लैट भी खरीदे।

सपने में भी कल्पना नही की होगी जॉर्ज ने
जार्ज ने कभी कल्पना भी नहीं की थी की उनकी जिंदगी एक दम से इतनी बदल जाएगी। वे अपनी जिंदगी को एक ऐसा मुकाम देंगे की जो सपना था उनका उससे कही ज्यादा उन्हे मिलेगा। दुनिया की सबसे ऊँची बिल्डिंग बुर्ज खलीफा जिसमे उन्हे प्रवेश करना था, परंतु जब उन्होंने अपने नाम से 22 फ्लैट खरीदे ये उन्होंने कभी नहीं सोचा था।

आपको बता दे जॉर्ज आज भारत की कई बड़ी कंपनियों के मालिक हैं। जिनका साल भर का टर्नओवर करोड़ों में होता है। जॉर्ज कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड के दूसरे सबसे बड़े हिस्सेदार हैं। इसमें उनका 14 प्रतिशत का हक है।

जॉर्ज की कहानी लोगो के लिए प्रेरणा साबित होती है
कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट भारत में सरकारी-निजी हिस्‍सेदारी मॉडल के अंतर्गत बनाया जाने वाला पहला एयरपोर्ट है। जार्ज की कहानी से हमे बहुत कुछ सीखने को मिलता है, जीवन में हार नहीं मानना चाहिए फिर जिंदगी भी हमे बहुत कुछ देती है।

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