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टीचर की बेटी ने पास की यूपीएससी परीक्षा, तीसरे प्रयास में 28वीं रैंक हासिल कर बनीं आईएएस अधिकारी

B Editor

हर साल लाखों छात्र सिविल सेवा परीक्षा देते हैं लेकिन इस परीक्षा की कसौटी पर कुछ सौ छात्र ही खरे उतर पाते हैं। इस परीक्षा में सफलता का कोई शॉर्ट-कट नहीं है। कड़ी मेहनत, सही रणनीति और लगातार प्रयास के जरिए ही इस एग्जाम को क्रैक किया जा सकता है। इस परीक्षा की सफलता जितनी खूबसूरत है, असफलता उससे कहीं ज्यादा निराशाजनक है। ऐसे में जब तक सलेक्शन न हो, तब तक धैर्य की परीक्षा भी इस परीक्षा की तैयारी के साथ जुड़ जाती है।

कौन हैं (Divya Mishra IAS) आईएएस दिव्या मिश्रा
दिव्या मिश्रा मूलरूप से कानपुर के नौबस्ता की रहने वाली हैं. उनके पिता का नाम दिनेश मिश्रा है जोकि जवाहर नवोदय विद्यालय में प्रधानाचार्य के तौर पर कार्यरत हैं. उनकी मां का नाम मंजू मिश्रा है जो कि परिवार की जिम्मेदारियां संभालती हैं. दिव्या बचपन से ही पढ़ाई में काफी अच्छी थी. उनकी शुरुआती पढ़ाई कानपुर से ही हुई. फिर उन्होंने जवाहर नवोदय विद्यालय उन्नाव से हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की. 10वीं की परीक्षा में उन्होंने 96.6 फीसदी अंकों के साथ स्टेट टॉप किया था।

वहीं 12वीं में उन्होंने 92.4 फीसदी अंक हासिल किए थे। बेसिक शिक्षा पूरी करने के बाद दिव्या मिश्रा ने AKTU से B.Tech की पढ़ाई पूरी की और ब्रांज मेडल भी जीता. उन्होंने IIM से PhD भी किया है। दिव्या बचपन से ही आईएएस अधिकारी बनना चाहती थी. इसलिए जब वो पोस्ट ग्रेजुएशन की तैयारी कर रही थी, उसी दौरान उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने का भी विचार किया. जिसके बाद उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी.

शुरुआती 2 प्रयासों में मिली असफलता
दिव्या को यूपीएससी परीक्षा में सफलता आसानी से नहीं मिल सकी. शुरुआती दौर में उन्हें कई बार असफलता का सामना करना पड़ा. दिव्या बताती हैं कि उनका छोटा भाई दिव्यांशु सेना में लेफ्टिनेंट के तौर पर कार्यरत है. छोटे भाई की नौकरी लग जाने के बाद उनपर काफी दबाव बन गया था. लेकिन उन्होंने अपना आत्मविश्वास नहीं खोया. पहले प्रयास में जब उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की तो वो महज 4 अंको से परीक्षा क्रैक नहीं कर पाई.

वो बताती हैं कि पहले प्रयास में उन्होंने अपनी सारी तैयारी ऑनलाइन की थी. वहीं दूसरे प्रयास में उन्होंने यूपीएससी परीक्षा तो पास कर ली लेकिन रैंक कम आने के कारण उनका आईएएस अधिकारी बनने का सपना अधूरा ही गया. बता दें कि दूसरे प्रयास में उन्होंने 312वीं रैंक हासिल की थी. जिसके बाद उन्हें रेलवे विभाग में अधिकारी के पद पर नौकरी मिल गई. लेकिन इस नौकरी से दिव्या संतुष्ट नहीं थी. उन्होंने मेहनत करना नहीं छोड़ा और पूरी लगन से तैयारी करती रहीं.

28वीं रैंक हासिल कर बनीं IAS अधिकारी
साल 2020 में दिव्या ने अपने तीसरे प्रयास में अपने बचपन के सपनों को पूरा किया. इस बार उन्होंने 29वीं रैंक हासिल की और IAS अधिकारी बन गईं. दिव्या की सफलता से ना सिर्फ उनके परिवार के लोग खुश हैं बल्कि इस बेटी की सफलता की तारीफ पूरे शहर में हो रही है.

यूपीएससी की तैयारी करने वाले युवाओं के लिए दिव्या सुझाव देती हैं कि अगर आप इस परीक्षा में असफल हो जाए तो निराश होने की बिलकुल भी जरूरत नहीं है. अपनी कमियों को पहचानकर फिर से कोशिश करें. सटीक रणनीति और टॉपिक्स पर अच्छी पकड़ रखें. जितना पढ़ें अच्छी तरह से पढ़ेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी.

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