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पत्नी के पास थे सिर्फ 25 लाख रुपये, शुरू किया खतरनाक बिजनेस; आज सालाना कमाते हे 100 करोड़ रुपये

B Editor

मामा अर्थ ये नाम आपने कई यूट्यूबर्स के मुंह से सुना ही होगा. आपने कई यूट्यूबर्स को इसका विज्ञापन या प्रचार करते भी देखा होगा. आज हर कोई इस ब्रांड को जानता है और लोग इसके उत्पादों को खरीद भी रहे हैं आज हम आपको इसकी सफलता की कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं.

गजल अलघ जीवनी
मामाअर्थ की शुरुआत गजल अलघ ने करी थी. 2 सितंबर 1988 को हरियाणा के गुरुग्राम में गजल अलघ का जन्म हुआ था. गजल अलघ की ज़िंदगी का काफी समय चंडीगढ़ में बीता है. वे वहीं पले-बढ़े. गजल अलघ ने अपनी स्कूली शिक्षा चंडीगढ़ से ही करी है. इसके बाद उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से बीसीए में ग्रेजुएशन करा. इसके बाद उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन किया जिसके बाद उन्हें नौकरी मिल गई.

इस तरह हुई थी मामाअर्थ की शुरुआत
जब गजल अलघ पहली बार माँ बनीं तब उनके बेटे अगस्त्य को भारत में कोई बेबी कॉस्मेटिक प्रोडक्ट सूट नहीं कर रहा था. जिससे गजल अलघ काफी खफा थी. गजल अलघ ने विदेश से कुछ उत्पाद मंगवाए जो उनके बेटे को सूट कर गया. गजल अलघ के दिमाग में यह विचार आया कि जिस तरह उनके बेटे को ये बेबी प्रोडक्ट सूट नहीं कर रहा था, उसी तरह भारत में कई बच्चों के साथ ऐसा ही हो रहा होगा.

गजल अलघ ने इस पर शोध करना शुरू कर दिया. गजल अलघ ने सबसे पहले देखा कि विदेशी उत्पादों में ऐसी कौन-सी चीज़ें इस्तेमाल की जाती हैं, जिससे बच्चों को नुकसान नहीं होता और भारत में बने उत्पादों में कौन सी ऐसी चीजें इस्तेमाल होती हैं जो नुकसान पहुंचाती हैं. गजल अलघ अपने शोध में सफल रही और यह पता लगाने में सक्षम रही कि ये उत्पाद उनके बेटे और अन्य बच्चों के लिए उपयुक्त क्यों नहीं हैं. बस इसके बाद गजल अलघ मामाअर्थ की शुरुआत करने में जुट गई.

इस तरह हुई मामाअर्थ सफल
मामाअर्थ की शुरुआत वर्ष 2015 में गजल अलघ और उनके पति वरुण ने करी थी. इसे शुरू करने से पहले गजल अलघ ने लगभग 700 महिलाओं को उनके बच्चों पर इस प्रॉडक्ट का परीक्षण करवाया. उन सभी महिलाओं के रिव्यू लिए और फिर उत्पाद को बाजार में लॉन्च कर दिया. मार्केट में लॉन्च करने के बाद उन्होंने अपने प्रोडक्ट की खूब ब्रांडिंग की लेकिन ब्रांडिंग का तरीका बिलकुल अलग रखा. आज के समय में मामाअर्थ एक बड़ी कंपनी बन चुकी है.

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